श्रीमहाशास्तृ दशकम्
पाण्ड्यभूपतीन्द्र पूर्व पुण्यमोहनाकृते
पण्डितार्चिताङ्घ्रि पुण्डरीक पावनाकृते
पूर्णचन्द्रतुण्ड वेत्रदण्डवीर्यवारिधे
पूर्णपुष्कलासमेत भूतनाथ पाहि माम् ॥ १
आदिशङ्कराच्युत प्रियात्मसंभवप्रभो
आदिभूतनाथ साधु भक्तचिन्तितप्रद
भूतिभूष वेदघोष पारितोष शास्वत
पूर्णपुष्कलासमेत भूतनाथ पाहि माम् ॥ २
पञ्चबाणकोटि कोमळाकृते कृपानिधे
पञ्चगव्यपायसान्न पानकादिमोदित
पञ्चभूत सञ्चयप्रपञ्चभूतपालक
पूर्णपुष्कलासमेत भूतनाथ पाहि माम् ॥ ३
चन्द्रसूर्य वीतिहोत्र नेत्र वक्त्रमोहन
सान्द्रसुन्दर स्मितार्द्र केसरिन्द्रवाहन
इन्द्रवन्दनीयपाद साधुवृन्दजीवन
पूर्णपुष्कलासमेत भूतनाथ पाहि माम् ॥ ४
अत्युदारभक्त चित्तरङ्ग नर्तन प्रभो
नित्यशुद्ध निर्मलाद्वितीयधर्मपालक
सत्यरूप मुक्तिरूप सर्वदेवतात्मक
पूर्णपुष्कलासमेत भूतनाथ पाहि माम् ॥ ५
वीरबाहु वर्णनीय वीर्यशौर्यवारिधे
वारिजासनादि देववन्द्य सुन्दराकृते
वारणेन्द्र वाजिसिम्हवाह भक्तशेवधे
पूर्णपुष्कलासमेत भूतनाथ पाहि माम् ॥ ६
सामगानलोल शान्तशील धर्म पालक
सोमसुन्दरास्य साधुपूजनीय पादुक
सामदानभेददण्ड शास्त्रनीति बोधक
पूर्णपुष्कलासमेत भूतनाथ पाहि माम् ॥ ७
सुप्रसन्न देवदेव सत्गति प्रदायक
चित्प्रकाशधर्मपाल सर्वभूतनायक
सुप्रसिद्ध पञ्चशैल सन्निकेतन नर्तक
पूर्णपुष्कलासमेत भूतनाथ पाहि माम् ॥ ८
शूल-चाप-बाण-खड्ग-वज्र-शक्तिशोभित
बालसूर्यकोटि भासुराङ्ग भूतसेवित
कालचक्र सम्प्रवृत्त कल्पनासमन्वित
पूर्णपुष्कलासमेत भूतनाथ पाहि माम् ॥ ९
अद्भुतात्म बोधसत्सनातनोपादशक
बुद्बुदोपम प्रपञ्च विभ्रम प्रकाशक
सप्रथ प्रगत्भचित् प्रकाशदिव्यदेशिक
पूर्णपुष्कलासमेत भूतनाथ पाहि माम् ॥ १०
इति श्री महा शास्तृ दशकं सम्पूर्णम् ॥
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